विद्या और विद्यार्थी?
विद्या धन से बड़ा कोई धन नहीं होता है।
लेकिन हम विद्या को ग्रहण कैसे करें?यह प्रश्न हम सभी के मन में उठता है। विद्या अर्जन हम गुरु के शरण में रहकर ही हम विद्या अर्जन कर सकते हैं। लेकिन आज के विद्यार्थी क्या गुरु शब्द की महिमा जानते हैं।जब हम मनुष्य के तन की उपयोगिता जान पायेगा। तभी मनुष्य का मन शिक्षा की ओर आकर्षित होगा।
क्योंकि आज का विद्यार्थी के मन में यह बात आ गई है,कि अब मैं बहुत सीख चुका हूं।बस!इसी से विद्यार्थी जीवन आगे नहीं बढ़ सकता है। क्योंकि उसके अंदर सीखने की ललक मर चुकी है! जबकि मनुष्य को हमेशा सीखते रहना चाहिए।वह कभी भी संपूर्ण नही बन सकता है।
अगर वह मनुष्य के जीवन के जादू को समझ गया तब वह सफल हो सकता है।