विद्यालय
**********विद्यालय (बालगीत)********
******** मात्रा भार-14/12 **********
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विद्यालय प्यारा हमारा,शिक्षा का दे उजाला,
कोरे कागज पर लिखता,जीवन का उपराला।
ज्ञान का महासागर है, ले तालीम विद्वान बने,
भविष्य दिखे सुनहरा सा,बढिया इंसान बने।
विद्यालय मनोरम संगम,कीमती मोती माला।
हरे भरे बाग बगीचे , अतिसुंदर पाठशाला।
रंग बिरंगे सुमन खिले , महके क्यारी क्यारी,
छोटे बड़े बालकों की,दुनिया सब से न्यारी।
विषयवार शिक्षक होते, भरे ज्ञान से झोली,
शिक्षात्मक माहौल होता,होती मीठी बोली।
राम-श्याम के कंधों पर,लदे है भारी बस्ते,
शिक्षालय सभी आते हैं,मिलते जुलते लड़ते।
पढ़ाई – लिखाई होती, होते खेल खिलौने,
खेल खेल में शिक्षा मिले, ना हो रोने धोने।
साथ साथ खाना खाते, बांटते सभी रोटी,
अच्छे खाने पर होती,नियत कभी भी खोटी।
मिल कर खेल खेलते, होती कभी लड़ाई,
उसी पल सुलह हो जाती,करते सभी पढ़ाई।
मनसीरत मन का चंचल,करता है शरारतें,
हमजोली की टोली में ,हो मित्रों संग बातें।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)