विद्यालय गीत
चुन कर पुष्पें शाखाओं से, नवनिर्मित बाग बनायेगा।
राष्ट्र के हित में विद्यालय, शिक्षा का दीप जलाएगा।।
ज्ञान, ध्यान, बिज्ञान रसायन,
आर्यवती संस्कृतिक पुरातन।
रंग कला, संगीत का वादन,
सभ्यता के नित नए प्रसाधन।।
होती लुप्त साहित्य की गंगा, धारा प्रबल बहायेगा।
राष्ट्र के हित में विद्यालय, शिक्षा का दीप जलाएगा।।
खेल कूद से निर्मित काया,
स्वर्णिम इतिहास लेने आया।
कर्म धर्म चहुं ओर है छाया,
तक्षशिला सा गुरुकुल पाया।।
अज्ञानता के इस तम को, ज्ञान के बल पे भगाएगा।
राष्ट्र के हित में विद्यालय, शिक्षा का दीप जलाएगा।।
ले निकलेंगे नव चेतन आगम,
है प्रण रहेंगे हम इसपे कायम।
गा कर तमसो मा ज्योतिर्गमय,
विद्या सुखः ने भवन्तु समागम।।
भारत का यह मूल मंत्र, अब विष्व पटल दोहराएगा।
राष्ट्र के हित में विद्यालय, शिक्षा का दीप जलाएगा।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २०/११/२०१८ )