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15 May 2020 · 1 min read

विद्यालय एक पूंजीवादी संस्था

समाज के अशिक्षित वर्ग को शिक्षित करने के उद्देश्य से खोली गई समाजिक संस्थाओं का एकमात्र उद्देश्य आज अधिक से अधिक लाभ कमाने तक सीमित रह गया है। ट्यूशन फीस के नाम पर न जाने कितनी ही तरह के अनेकों शुल्क की जबरन उगाही अभिभावकों से की जाती है और समय पर न दे पाने पर विद्यार्थी को कक्षा के अन्य विधार्थियों के समक्ष विधालय से निकाल देने की धमकी आदि का डर बैठा दिया जाता है । तथा विधालय में कार्यरत अध्यापक मात्र उनके हाथ की कठपुतली बनकर रह गया है जिनको वेतन के नाम पर मात्र चंद कोड़ी थमा कर उनके ऊपर एहसान ऐसे जताया जाता है कि नजाने कितनी मोटी रकम उनको दी जा रही हो। एक राष्ट्र का निर्माता कहा जाने वाला शिक्षक स्वयं का निर्माण कर पाने में ही असक्षम हो जाता है। निजी विधालयों में अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए, शिक्षकों से शैक्षिक कार्य के अतिरिक्त अन्य तरह के कार्यों की जिम्मेदारी भी उन्हें दे दी जाती है। और इन सब कार्यों के बोझ तले शिक्षक को समय पर अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के साथ साथ रिजल्ट भी बेहतर देना होता है। समाजिक कार्य के नाम पर खुले आम अभिभावकों को लूटना विधलायों की पूंजीवादी सोच को दर्शाता है। जिनका एक मात्र उद्देश्य शिक्षा के नाम पर अधिक से अधिक लाभ कमाना है और महँगाई के नाम हर वर्ष टयूशन फीस के साथ अलग अलग तरह के शुल्कों को वसूलना है।

भूपेंद्र रावत
15।05।2020

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 3 Comments · 556 Views

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