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17 Jan 2017 · 1 min read

विदाई

विदाई की अब बजने को है शहनाई
विरह के सायों में यादो की परछाई
हर एक लम्हा ;हर एक स्पन्दन
वियोग के सुरों में ह्रदय का रुदन
न कर पाऊं शायेद भांवो का वर्णन
हाथ पकढ़ जो चले तेरे नहने कदम
बाबुल की दहलीज पर याद आयेगें हरदम
तेरी पुकार को तरसेगा मेरा मन
धुप छांव तले बरसेगे नयन
याद तुम बहुत आओगी
ससुराल तुम जब चलि जाओगी
सुप्रिया सुप्रिया पुकारेगा मन
आई तुम तुलसी सी मेरे आँगन में
भैया की राखी में , मैया की आंचल में
मोती सी नयनों के सीपो में

कस्तूरी सी मृग ह्रदय में
बाबुल की हर सांसो में
बंधन के कच्चे धागों में
महक रही थी छोटी सी बगिया में
छोढ़ चली बाबुल का संसार
बसाने को आपना परिवार
चली जो तुम पिया के द्वार
अश्रु -नयनो में भी ख़ुशी है अपार
बजने को है शादी की शहनाई
बिछुढ़ने को विदाई की घढ़ी आई

सजन

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