विदाई
जब बेटी की विदाई होती है,
वो मन ही मन रोती है,
जाने कितनी ही,
उलझनों को दिल में लिए होती है.
बहोत कुछ छूटता जाता है,
बहोत कुछ आता नजर आता है,
चारों तरफ दिल के करीब,
सभी अपनों का घेरा नजर आता है.
पल पल खुशी होती है,
पल पल मन घबराता है,
फिर अपने परिवार को,
आसपास देखकर,
दिल संभल जाता है.
अजीब सी कशमकश में,
वो डरी डरी मुसकाती है,
बेटियां तो बेटियां हैं,
ये तो हर घर की चमक हैं,
शादी के बाद,
अब वो दो घरों की रौनक है.