विदाई
बहुत मुश्क़िल होता हैं एक बेटी को विदा कर पाना,
अपने कलेजे के टुकड़े को किसी के हाथ मे सौप पाना…
जितनी ख़ुशी होती हैं शादी की पिता के चेहरे पर,
उतना ही मुश्क़िल होता हैं अपने सीने में उठ रहे दर्द को छुपा पाना…
कितनी मन्नतों के बाद एक बेटी नसीब होती हैं,
उस नाज़ुक सी गुड़ियाँ को गृहस्ती में भेज पाना….
जिसके चेहरे की मुस्कान से दिन की शुरुआत होती थी,
उस मुस्कान को अपनी आँखों से दूर कर पाना…
अपनी जान को नई दुनियाँ में जाते देख,
अपने ख़ुशी के आँसुओ को रोक पाना…
खुशी औऱ ग़म के इस असमंजस में,
बहुत मुश्क़िल होता हैं आँखों मे आँसु लिये थोड़ा मुस्कुरा पाना…
पायल पोखरना कोठारी