विदाई की बेला
विवाह पांडाल में जैसे ही ननद माही की विदाई की बेला आई, अनुभा दहाड़ें मार-मारकर रोने लगी तभी आसपास उपस्थित महिलाएँ उसकी तरफ आश्चर्य से देखने लगीं।अब तक माही घर का अधिकांश काम करने के साथ ही अपने पापा-मम्मी, छोटे भाई सभी का पूरा ख्याल रखती थी आज से यह सारी जिम्मेदारी अनुभा पर आ गई थी । तभी मौसी सास ने उसको समझाते हुए कहा-“माही के ससुराल चले जाने से अब घर की सारी जिम्मेदारी तुम पर आ गई है; जब भी तुम्हारा मन किया करे उसे बुला लिया करना।ननद को भाभी जब भी बुलाती है वह खुशी-खुशी घर आ जाती है।” परंतु मौसी सास यह नहीं समझ पा रही थीं कि अनुभा स्नेहवश इतनी रुआँसी हो गई है या जिम्मेदारी के बोझ तले दब जाने से।