विडम्बना
मैं साँस ले रहा हूँ ,
सूंघ रहा हूँ निर्वात l
कड़ी धूप में देख रहा हूँ अंधकार ,
समुन्दर की तलहटी में सूखा पड़ा है
भेड़ियों का दल
मंथन के लिए खड़ा है l
……..रवि
मैं साँस ले रहा हूँ ,
सूंघ रहा हूँ निर्वात l
कड़ी धूप में देख रहा हूँ अंधकार ,
समुन्दर की तलहटी में सूखा पड़ा है
भेड़ियों का दल
मंथन के लिए खड़ा है l
……..रवि