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21 Aug 2019 · 1 min read

विडम्बना

सावन के संगीत गये खो, कहाँ दिखे अब सावन।
सावन की वह बात पुरातन, जो दिखता मनभावन।
कॉल विडीयों युग मे गर जो , हुये पिया परदेशी-
नित्य बात करती पी से वो, गया विरह का सावन।।
#स्वरचित
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
1 Like · 431 Views
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