विडंबना पर दोहे
स्कूल क्यों बंद है,खुले कुंभ के कपाट
शिक्षा संशय हटाये खोले सब बंद पाट
.
थक हारकर बैठे मिटे न मन की पीर,
अग्रीम संयोग मन के जो खींचे लकीर,
भूलभूलैया खेल मे हारे सोच विचार,
हार से अनुभव बढे वो ही उतारे पार
स्कूल क्यों बंद है,खुले कुंभ के कपाट
शिक्षा संशय हटाये खोले सब बंद पाट
.
थक हारकर बैठे मिटे न मन की पीर,
अग्रीम संयोग मन के जो खींचे लकीर,
भूलभूलैया खेल मे हारे सोच विचार,
हार से अनुभव बढे वो ही उतारे पार