विज्ञान वरदान या अभिशाप बिन सैंस तोले कौन,
**सैंस(sense)से जो आई है,
सुविधा बहुत बढ़ाई है,
उसी साइंस(science)ने,
आखिर नींद हमारी उड़ाई है,
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तन गई मिसाइल जगह जगह,
तू बता जरा,
हमारी सैंस कहाँ छुपाई है,
माना तूने मृत्यु दर घटाई है,
मरणासन की साँस चलाई है,
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बदल दिये जिंदा दिल
आखिर जान बचाई है,
वरदान बने मानवता,
लौटा दो ऐसी सैंस,
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अभिशाप न बने साइंस,
लौटा दो फिर से हमारी सैंस,
विज्ञान वरदान या है अभिशाप,
बिन सैंस नहीं तुलती अपने आप,
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डॉ महेन्द्र सिंह खालेटिया,