विज्ञान ने विषाक्त बना दिया
विज्ञान ने विषाक्त बना दिया
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विज्ञान ने विषाक्त बना दिया,
कुदरत ने कोरोना का आक्रमण,
यूं ही नहीं किया है,
कुपित हो गई है,
कुदरत मानव के घमंड से,
कहीं ना कहीं अपमान किया हैं,
प्रकृति का हमनें,
खुद को भगवान समझ बैठा,
तभी तो दिया है झटका,
भले हमें पैदा अपने मां-बाप ने किया
पर पाला तो हमको प्रकृति ने,
प्रकृति पर निर्भर हैं,
हमारा भरण-पोषण और संचालन,
विज्ञान पद्धति से,
उन्नत बीजों से बढ़ा तो ली हैं,
अनाज की मात्रा,
अंग्रेजी खाद-कीटनाशक दवाओं से
हमनें बना दिया हैं विषाक्त ,
विज्ञान ने ही बना दिया हैं,
प्रकृति को जहरीला,
माना की विज्ञान ने बढ़ा दी हैं,
इंसान की उम्र ,
विज्ञान ने हर चीज बना दी हैं, जहरीली,
विज्ञान ने बना दिया हैं,
जहर दूध को,
बच्चों को यह दूध पिलाकर,
रोग-निरोधक क्षमता सुरक्षित रहेगी,
आने वाली संतानों के,
भविष्य छीना जा रहा हैं,
कल-कारखानों की मार ने,
जहरीला वातावरण बना दिया हैं,
हवाएं जहरीली बना दी,
नदियों को भी विषाक्त बना दिया,
माना कि………,
विज्ञान ने सब पैदा कर दिया हैं,
हर असंभव को संभव बना दिया है ,
पर…….,
वह विषधर,
विष पी कर,
जो शिव नीलकंठ हो गए,
शायद वह,
नीलकंठ शिव को नहीं बना पाए,
रोज-रोज कुरेदते हैं,
कुदरत के शरीर को,
क्या वो सहन कर पायेगी,
तभी तो कोरोना जैसी महामारी,
को दुनियां में फैलाया हैं,
क्या माफ करेगी कुदरत हमको ?
✍️ स्वरचित ✍️
चेतन दास वैष्णव
02/04/2020