विज्ञात छंद
विज्ञात योग शक्ति छंद
★★★★★★★★★
सब एकजुट होकर,चले दशहरा।
हँसते गाते सब , रेलम पेला।
दशमुख है रावण,हँसता भारी।
देखता सभी नर,बच्चें सारी।
रंग बिरंगे,गुब्बारे उड़ता।
देखकर उसे,जब बच्चा रोता।
माँ हर जिद को,सब पूरा करता।
खुशी-खुशी से,प्रफुल्लित रहता।
★★★★★★★★★★★★
रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822