विजेता
कोई यदि चाल चलता है, तो चलने दो।
जीत पर हाथ मलता है, तो मलने दो।।
तुम अपनी चाल की रफ्तार, न धीमी करना।
किसी की जान निकलती है, तो निकलने दो।।
हमसफर कोई नहीं है अगर, तो गम न करो।
हौसलों की उड़ान अपनी है, वो कम न करो।।
तड़प कर आयेगीं मंजिल तुम्हारे कदमों में।
अश्क पीते रहो पर आंखे कभी नम न करो।।
कपाल काल का माना, पर लेखनी तो तेरी है।
ये भी माना कि सांपो से तेरी दोस्ती घनेरी है।।
अपना उत्साह और विश्वास कभी न खोना तुम।
विजयश्री तेरी ही होगी,शुभकामना ये मेरी है।।
जय हिंद