विजातीय बिआह।
विजातीय बिआह।
-आचार्य रामानंद मंडल।
रेलगाड़ी मुजफ्फरपुर से हैदराबाद के लेल भागल जा रहल हय। हैदराबाद मे सगर राति दीप जरय आयोजित हय। कथा गोष्ठी मे भाग लेबे सीतामढ़ी से दयानंद मंडल जा रहल हतन। वोही डिब्बा में खगड़िया के राजनंदन मंडल सेहो बैठल हतन। दूनू गोरे के परिचय पात भेल।दुनू गोरे मे गपशप होय लागल।राजनदंन बाबू बतैलन -हमहू हैदराबाद सगर राति दीप जरय मे भाग लेबे जा रहल छी।हम खगड़िया उच्च माध्यमिक विद्यालय मे प्रधानाध्यापक छी। दयानंद बाबू कहलन -हमहू सीतामढ़ी उच्च माध्यमिक विद्यालय मे प्रधानाध्यापक छी। घनिष्ठता बढैत गेल। दयानंद बाबू आब भोजन के आर्डर करे त राजनदंन बाबू के सेहो लेल। पेमेंट दयानंद बाबू करय।राजनदंन बाबू चाय नाश्ता के आर्डर करय त दयानंद बाबू के सेहो लेल। पेमेंट राजनदंन बाबू करय।
हैदराबाद मे दयानंद बाबू अपन रचित कथा -विधवा के पियार पढलैन त समीक्षा राजनदंन बाबू कैलन।राजनदंन बाबू कहलन -बिधवा पुनर्विवाह के लेल कथा समाज के उद्वेलित करय हय।राजनदंन बाबू अपन रचित कथा -प्रेम मे धोखा पढलैन।आ समीक्षा दयानंद बाबू कैलन। दयानंद बाबू कहलन कि एगो पत्नी केना बेबफा हो जाइत हय आ अपन प्रेमी पति के मरे के लेल मजबूर क देइ छैय। दैहिक आकर्षण आ बासना के आग मे जरैत पत्नी परिवार के समाप्त क देइ छैय।आ सेवारत पति के मरला के बाद अनुकम्पा पर नौकरी प्राप्त कर कथित प्रेमी संग विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत करय हय आ अंत मे प्रेमी द्वारा छोडला पर एकांगी जीवन व्यतीत करय हय।
दयानंद बाबू आ राजनंदन बाबू मे प्रगाढ़ता बढल। राजनंदन बाबू पुछलन -अंहा के नजर मे कोनो सरकारी सेवारत लरिका हय। हमरा अपन लरकी के बिआह करय के हय।हमर लरकी पिरिया एम ए हय।
दयानंद बाबू बजलन -हमर लरिका शुभम राज इंजीनियर हय आ सिंचाई विभाग पटना मे सेवारत हय।वो विवाह योग्य हय।हम हुनकर विआह करय चाहय छी।राजनंदन बाबू बजलन -तब त हमरा आ अंहा संबंधी बन जाय के चाही। दयानंद बाबू बजलन -शुभम से पूछ लेय छी आ मोबाइल लगैलन।शुभम बजलन -हेलो। बाबू जी।
दयानंद बाबू -हेलो।शुभम।हम सगर राति दीप जरय कार्यक्रम हैदराबाद मे आयल छी। हमरा लग खगड़िया के राजनंदन बाबू हतन।हिनकर लरकी एम ए हय आ इ अपन लरकी के बिआह करय चाहे छतिन।आ हम हिनका बचन अंहा के लेल दे देलिय हय। अंहा के कि विचार हय।
शुभम बजलन -बाबू जी हम अंहा से बाहर न छी। अपने के जे बिचार हय कैल जाव।
दयानंद बाबू -ठीक हय।
आब दयानंद बाबू बजलन -राजनंदन बाबू। शुभम राजी हय।बिआह के लेल हम तैयार छी।घर जा के तैयारी कैल जाय।
रेलगाड़ी से दूनू आदमी घर पहुंचलन।
दयानंद बाबू अपन परिवार में सभ बात बतैलन। परिवार के सभ लोग खुशी जतैलन।
राजनंदन बाबू अपन परिवार मे सभ बतैलन। परिवार के सभ लोग खुशी व्यक्त कैलन।
समय पर खुब लेब देब के संग पटना के एगो विआह भवन मे विआह भेल।बिआह के बाद शुभम नव दुल्हन संग अपन घर अयलन।सभ विधि होयल। शुभम समय-समय पर घर आबे लगलन।समय खुशी पूर्वक बितय लागल।
एकटा राति पिरिया आ शुभम अपन अपन परिवार के बारे मे बात करैत रहय।त बाते -बात मे बतैलक कि हम मल्लाह छी। शुभम कहलक कि हमरा इंहा मल्लाह त सहनी बोलय हय। अंहा के बाबू के नाम त राजनदंन मंडल हय।पिरिया कहलक कि हमरा इंहा मल्लाह मंडल सेहो बोलय हय।शुभम कहलक कि हम त धानुक छी आ हमरा सभ के टाइटिल मंडल हय।आ दूनू मे विजातीय के लेके मतभेद पैदा हो गेल।इ बात परिवार मे फैल गेल।अंत मे दूनू परिवार मे मतभेद हो गेल आ बात तलाक त पहूंच गेल। अदालत मे तलाक के लेल मुकदमा भे गेल।पिरिया अपना नहिरा मे रहय लागल।आ शुभम पटना मे रहे लागल। एकटा रात शुभम के फुड प्वाइजनिंग हो गेल। सबेरे जौं बहुत देर तक कमरा से न निकलल त मकान मालिक के संदेह भेल। कमरा के दरबजा के पिटलन। कमरा से कोनो तरह के आवाज न आयल। कमरा के दरबजा तोड़ल गेल।शुभम बेड के नीचा गिरल लोआर -पराल मिलल।मकान मालिक एगो नर्सिंग होम में शुभम के एडमिट करैलक आ सीतामढ़ी घर पर मोबाइल से जानकारी देलक। शुभम के बाबू दयानंद बाबू आ माय नर्सिंग होम पटना अयलन आ उपचार होय लागल। नर्सिंग होम में शुभम के ससुरार खगड़िया के एगो व्यक्ति एडमिट रहय।वो शुभम के पहचान लेलन।कि इत राजनंदन बाबू के दमाद हतन।वो चपके से राजनंदन बाबू के खबर दे देलन।राजनंदन बाबू अपन पत्नी आ बेटी पिरिया के संग नर्सिंग होम पटना मे पहुंच गेलन आ शुभम के सेवा सुसुर्सा मे लाग गेलन।पिरिया त राति दिन शुभम के सेवा करे लागल।शुभम पूर्णतः स्वस्थ हो गेलन।शुभम आ पिरिया के मतभेद प्रेम मे बदल गेल।दूनू परिवार आपसी मतभेद भुला के एक भे गेल।आब विजातीय बिआह मानवीय बिआह मे बदल गेल।आइ दयानंद बाबू बाबा आ राजनंदन बाबू नाना बन गेल हतन।दूनू परिवार खुश आ खुशहाल हय।
@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।