विजय का पर्व है पावन, हमे मिल कर मनाना है
विजय का पर्व है पावन, हमे मिल कर मनाना है,
असूरता पर विजय श्री राम की है ये बताना है,
मगर ये पर्व होगा तब सफल जब ठान लोगे तूम,
हमें पहले छूपे अंदर के रावण को जलाना है।
बना छोटे से छोटा भी अणु़ं विस्फोट करता है,
भले ही सत्य कितना शूक्ष्म हो पर चोट करता है,
विजय होगी हमारी तब, जो बदले हर प्रणाली को,
मिले हर काम प्रतिभा से, अभी जो नोट करता है।
भारत मां के बेटे बेटियाँ ये प्रण उठाते हैं,
बटेंगे ना कभी हम धर्म पर सौगंध खाते हैं,
विजय होगी हमारी एकता की साथ हैं हम सब,
शिखर पे होगा भारत विश्व के सबको बताते हैं।
किसानों को जवानों को मेरा सादर नमन हो जी
खिलें धनधान्य से धरती, सुरक्षित ये वतन हो जी,
विजय का पर्व हो तब जब सियासत को समझ आये,
न फांसी ले कोई न हो सहादत ये जतन हो जी।