Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2021 · 1 min read

विजया फिर से आईल रहल

शादी के मुद्दा फिर गरमाईल रहल ।
विजया कल फिर से आईल रहल।
अपने भउजी के तिरलोक देखवले ,
अपने माई से भी अझुराइल रहल।
सावन बीतल फिर भादो आइल।
मनवा वोकर अब बा मुरझाइल।
शादी वोकर बस टरत जात बा।
माई भउजी से लड़त जात बा।
लेकिन सुनली हई कि एक ठे
बरदेखुआ आइल रहल।
शादी के मुद्दा फिर गरमाईल रहल ।
विजया कल फिर से आईल रहल।
शादी -वादी न होई त ,छत-वत से कूदी उ।
बाढ़ भी आईल बा ,ओही में जाके डूबी उ।
दुसरे के बरदेखुआ देख के ,बहुत ज्यादा
शर्माइल रहल।
शादी के मुद्दा फिर गरमाईल रहल ।
विजया कल फिर से आईल रहल।
केहू अगुआ वोकर शादी करा द।
विजया के बस मंसा पुरा द।
शादी के खातिर दुःखी बा दिल से,
मुँहवा वोकर मुरझाइल रहल।
शादी के मुद्दा फिर गरमाईल रहल ।
विजया कल फिर से आईल रहल।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Bhojpuri
Tag: गीत
481 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्यार जिंदगी का
प्यार जिंदगी का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*पाई जग में आयु है, सबने सौ-सौ वर्ष (कुंडलिया)*
*पाई जग में आयु है, सबने सौ-सौ वर्ष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
नित  हर्ष  रहे   उत्कर्ष  रहे,   कर  कंचनमय  थाल  रहे ।
नित हर्ष रहे उत्कर्ष रहे, कर कंचनमय थाल रहे ।
Ashok deep
सपनो में देखूं तुम्हें तो
सपनो में देखूं तुम्हें तो
Aditya Prakash
"जाग दुखियारे"
Dr. Kishan tandon kranti
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
2392.पूर्णिका
2392.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बिहार एवं झारखण्ड के दलक कवियों में विगलित दलित व आदिवासी-चेतना / मुसाफ़िर बैठा
बिहार एवं झारखण्ड के दलक कवियों में विगलित दलित व आदिवासी-चेतना / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
अपने जमीर का कभी हम सौदा नही करेगे
अपने जमीर का कभी हम सौदा नही करेगे
shabina. Naaz
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
लक्की सिंह चौहान
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तेवर
तेवर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
किसी आंख से आंसू टपके दिल को ये बर्दाश्त नहीं,
किसी आंख से आंसू टपके दिल को ये बर्दाश्त नहीं,
*Author प्रणय प्रभात*
"रात यूं नहीं बड़ी है"
ज़ैद बलियावी
धनवान -: माँ और मिट्टी
धनवान -: माँ और मिट्टी
Surya Barman
मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पूजा
पूजा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
नन्हीं बाल-कविताएँ
नन्हीं बाल-कविताएँ
Kanchan Khanna
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
हिमांशु Kulshrestha
I
I
Ranjeet kumar patre
*प्रेम भेजा  फ्राई है*
*प्रेम भेजा फ्राई है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
Poonam Matia
बेटियाँ
बेटियाँ
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
Suryakant Dwivedi
कजरी लोक गीत
कजरी लोक गीत
लक्ष्मी सिंह
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
पूर्वार्थ
शुभ दिवाली
शुभ दिवाली
umesh mehra
कहां जाके लुकाबों
कहां जाके लुकाबों
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Loading...