विजया घनाक्षरी
दिनांक 12/4/21
विषय – विजया घनाक्षरी
विजया घनाक्षरी
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अपार शक्ति धारणी,जगत हित कारणी,समूह पाप तारणी,दयाली मात कालका ।
असुर रण नाशनी, खप्पर कर वासनी,प्रचण्ड घोष हासनी,
कपाली मात कालका ।
अधर्म बढ़ी करनी,न जाय दशा बरनी,हैरान हुई धरनी, जै काली मात कालका ।
संग्राम थाम लीजिये,हताशा दूर कीजिये, कोरोना मार दीजिये,कृपाली मात कालका।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश