विच्छेद
सौ शिकायतों के बाद मिलते हैं।
बदलते रिश्ते और अपने
कितनी चाहत है फिर भी ना,
मिला ना अमृत अहसास
तो खुद ही मोड़ लेते हैं।
या तोड़ लेते हैं।
पल भर में वादा पर वादा किये देते हैं।
ये वादा चंद मुलाकातों से निकले हैं।
खैर शौक से जो भी बदल देते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में अग्नि के साथ फेरे लेने के बाद भी, जो तोड़ देते हैं।
क्या सचमुच में वो ना बदल देते।
– डॉ.सीमा कुमारी.29-12-024की स्वरचित रचना मेरी जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।