” विचित्र परिपाटी “
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
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फेसबुक के माध्यम से
हम लाखों से जुड़ जाते हैं ,
अपने विचारों , अपनी भावनाओं
को लोगों तक पहुँचाते हैं !!
हमें यह ज्ञात है, आभास है
विचारों में विभेद हो सकता है ,
पर हर्ज क्या है किसी की बात सुनने में
कहीं इस में छुपा कोई राज हो सकता है !!
कुछ आप लिखें ,कुछ हम लिखें
अच्छी चीजों को सराहें ह्रदय से ,
जो अटपटी लगे ,आहत करे ,अस्वीकार्य हो
उसे हम त्याग दें अपने समय से !!
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
दुमका