विचार
अपनी कलम को अपनी अमानत , जो कर लोगे तुम
विचारों का एक समंदर , रोशन कर लोगे तुम |
निखरती जायेगी कलम तेरी , दिन दोगुनी – रात चौगुनी
साहित्यकारों की गलियों में , तेरी धूम मचेगी एक दिन ||
अपनी कलम को अपनी अमानत , जो कर लोगे तुम
विचारों का एक समंदर , रोशन कर लोगे तुम |
निखरती जायेगी कलम तेरी , दिन दोगुनी – रात चौगुनी
साहित्यकारों की गलियों में , तेरी धूम मचेगी एक दिन ||