विचार
विचार
क्यूँ कर यूँ ही बीत जाये जिंदगी
क्यूँ कर यूँ ही बिखर जाएँ, आंखों के मोती
क्यूँ कर यूँ ही खुद को बहलाते रहें
क्यूँ कर यूँ ही आँसू बहाते रहें
क्यूँ ना हम करें खुद का एक आसमाँ रोशन
क्यूँ ना हम खुद पर करें विश्वास
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम