विचार
जीवन को उत्तुंग शिखर पर
तुम ही लेकर जाते हो
मन मस्तिष्क पर हो आरूढ़
तुम इतिहास नया रच जाते हो
दुर्योधन के मन उपजे
महाविनाश के सृजक बने
दशानन की कर मति मालीन
भीषण युद्ध तुमने कर डाला
वाल्मीकि के मन उपजे
रामायण का अवतरण हुआ
तुलसी संग होकर तुमने
रामचरित को रच डाला
तुमसे ही सुत हुए अधर्मी
मां को घर से धकेल दिया
तुमसे ही प्रेरित होकर
गीता का उपदेश हुआ
वेद व्यास ने संग हुए तो
अमर काव्य निर्माण किया
तुमने साथ निभाया उसका
तब वह हुआ आतंकी है
सैनिक में सोच तुम्ही बने
भारत मां की खातिर वह
देश हित कुर्बान हुआ
भागीरथ की बन कठिन साधना
गंगा को ले आते हो
जीवन को उत्तुंग शिखर पर
तुम ही लेकर जाते हो ।।