विचार श्रृंखला
एकाकी एकांत से चित्त एकाग्र होता है ,
जो आत्मचिंतन को प्रेरित कर ,
मंथन से प्रज्ञा का परिमार्जन कर ,
परिष्कृत मानसिकता के विकास से ,
स्वतंत्र चरित्र के निर्माण में सहायक होता है।
स्वतंत्र चरित्र से आत्मविश्वास की उत्पत्ति होती है।
आत्मविश्वास से सतत् संघर्षरत् रहकर ,
लक्ष्य प्राप्ति की प्रतिबद्धता बढ़ती है।
प्रतिबद्धता से सफलता सुनिश्चित होती है।