विचार मंच भाग – 4
आज फिर खरगोश से जीत गया कछुवा|
ज़िन्दगी की दौड किसी को भी हरा सकती है|(21)
बादल आये और बे-दल हो गये, जाने कब ज़िन्दगी नरम ताल होगी अब?( 22)
सुना है उनकी आँखों का इलाज हुआ है, आज फिर मुझे कहा दिल साफ है तुम्हारा||(23)
परेशानी अब मेरी आदत सी बन गयी, पराया कोई नहीं और अपने हैं नहीं||(24)
रिश्ता आया था नजाकत का, मैने कहा अधूरापन तेज आंधी हो जाता है||(25)
क्रमश: