विचार क्रांति
लेख
विचार क्रांति
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मन में उमड़ते घुमड़ते उहापोह पैदा करते विचार जब विद्रोह पर पर आमादा हो जायें तब विचार क्रांति का जन्म होता है।क्रांति का अर्थ हिंसा या अस्थिरता अथवा फूट डालना नहीं है,बल्कि अपने विचारों के प्रवाह, प्रज्जवलन से व्यक्ति और समाज में सकारात्मक भावों का समावेश करने का प्रयास होना चाहिए।जिसमें दूरदर्शिता हो,सर्वहित की सोच हो,दूरगामी परिणाम का चिंतन हो और सबसे बड़ी बात किसी, व्यक्ति या समुदाय, क्षेत्र का नहीं समाज और राष्ट्र का हित स्पष्ट हो।
विचारों की क्रांति एक दिन में नहीं आती, सदियों सदियों भी लग सकते हैं/ लग जाते हैं, इसलिए धैर्य, अनुशासन, संयम और आत्मविश्वास बहुत जरुरी है।क्योंकि बहुत बार सफलता मंजिल के करीब पहुंच कर महज इसलिए फिसल जाती है क्योंकि हम अथवा संबंधित व्यक्ति या समूह अति उत्साह, अतिरेक में लापरवाह और मंत्र मुग्धता का शिकार हो जाते हैं।
अब तक का इतिहास देखिये, मनन ,चिंतन कीजिये, वैचारिक क्रांति के विभिन्न पक्षों को जानिए ,समझिए।तभी विचार क्रांति की मशाल को प्रज्वलित कर सकते हैं । अन्यथा दो कदम आगे और एक कदम पीछे चलने की नीति और स्व स्वार्थ का भाव आपकी असफलता पर पहले ही निश्चित मुहर लगाए आपका इंतज़ार करता मिलेगा।ऐसे में वैचारिक क्रांति का सपना महज खोखला ही साबित होगा।
◆ सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
© मौलिक,स्वरचित
21.08.2021