विचारमंच भाग -2
बडा मुनासिब समझा है जाम के प्याले से प्यास बुझाने को l
खैर खयाल रखना प्याले से प्यास बुझ सकती है ,दिल की आग नहीं||(11)
हकीकत को जानना और हसरतें पूरी होना |
हर गुल गुलज़ार की शान नहीं होता(12)
मैं बखूबी पहचानता हूँ इस बहार को, ये हवा भी तो मेरा प्यार ही है||(13)
जमाना गुजर गया उसपर ये यादें, साँसों के साथ ही टिकी हुई है||(14)
तू आँखों से कहती ,मैं आंखों से सुनकर, करूँ जो इशारा|
तू आँखें बडी कर शर्माती जिस पल, संसार मेरा,श्रृंगार तेरा(15)
क्रमश: