Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Shyam Sundar Subramanian
141 Followers
Follow
Report this post
9 Jan 2022 · 1 min read
विचारक
दुनिया में कुछ ही मूल विचारक हैं ,और बाकी सब पुनःप्रवर्तक हैं।
Language:
Hindi
Tag:
कोटेशन
Like
Share
1 Like
·
4 Comments
· 147 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
खुली किताब
Shyam Sundar Subramanian
भाव तरंग
Shyamsundar Subramanian
काव्य सरिता
Shyam Sundar Subramanian
You may also like:
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
Kumar lalit
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
" लफ़्ज़ "
Dr. Kishan tandon kranti
ज़ख़्म गहरा है सब्र से काम लेना है,
Phool gufran
जय श्री राम
Indu Singh
..........
शेखर सिंह
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
Dr.Pratibha Prakash
सौगात ...
sushil sarna
Pseudo Democracy and Monopolistic Capitalism: An In-Depth Analysis in the Present Geopolitical Scenario
Shyam Sundar Subramanian
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
gurudeenverma198
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
हालात बदलेंगे या नही ये तो बाद की बात है, उससे पहले कुछ अहम
पूर्वार्थ
अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
_सुलेखा.
मुक्तक – भावनाएं
Sonam Puneet Dubey
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
किसी और से इश्क़ दुबारा नहीं होगा
Madhuyanka Raj
एक मशाल तो जलाओ यारों
नेताम आर सी
Lines of day
Sampada
प्रेम : तेरे तालाश में....!
VEDANTA PATEL
रामावतार रामायणसार 🙏🙏
तारकेश्वर प्रसाद तरुण
#सनातन_सत्य-
*प्रणय*
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
Dr Archana Gupta
बदलता चेहरा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
4165.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
" कैसा हूँ "
Dr Mukesh 'Aseemit'
सांस के बारे में
Otteri Selvakumar
मौसम ए बहार क्या आया ,सभी गुल सामने आने लगे हैं,
Neelofar Khan
बसंती बहार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
नेता जी को याद आ रहा फिर से टिकट दोबारा- हास्य व्यंग्य रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
आत्म अवलोकन कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
Loading...