विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
सिंहासन बत्तीसी प्राप्ति की कथा
भाग–2
राजा भोज के महल में न्याय की घंटी बजती है राजा भोज तुरंत दरबार में पहुचते है। तभी गांव का सरपंच उन्हें कहता है महाराज आज हम न्याय की गुहार लगाने नही आए हैं। आज हम एक जटिल समस्या का समाधान कराने आए हैं। राजा भोज कहते हैं कैसी समस्या! सरपंच कहते हैं हमारे लिए धर्म संकट है। नगर में एक चरवाहा रहता है जो बिल्कुल आपकी तरह नीति न्याय ज्ञान और धर्म की बात करता है हम जो सम्मान अपने राजा को देते हैं जिसे हम न्याय का देवता मानते हैं वो सम्मान उसे कैसे दे यह तो आपका अपमान है ।
राजा भोज : नहीं सरपंच जी यह तो हमारे लिए गौरव की बात है कि हमारे राज्य का चरवाहा भी इतना ज्ञानवान और विचारवान है ।
सरपंच : मगर महाराज अचानक से उस चरवाहे में इतना ज्ञान कहा से आया ?
राजा भोज : ज्ञान तो बहती गंगा के समान है जो किसी के भी चौखट से गुजर सकती है किसी की भी हो सकती है। कहा रहता है वो चरवाहा ?
सरपंच : वो महाकाल मंदिर के पीछे एक टीले पर बैठा रहता है।
राजा भोज : प्रजाजनों आपका मेरे प्रति यह सम्मान मेरे लिए गौरव की बात है कि आप मेरे अतिरिक्त किसी की भी विद्वता स्वीकार नही कर रहे लेकिन प्रजा जनों सम्मान व्यक्ति विशेष का नही व्यक्ति के विशेष गुणों का होना चाहिए । हम उस चरवाहे का स्वागत करते हैं हम यह घोषणा करते हैं कि हम स्वयं उस चरवाहे से मिलने जाएगें।
राजा भोज उस चरवाहे ने मिलने पहुंचते हैं ।
चरवाहा : प्रणाम महाराज आपका स्वागत है ।
राजा भोज : आपकी ज्ञान भरी बातों ने हमे यहाँ आने पर विवश कर दिया इसलिए आपसे मिलने चले आए ।
चरवाहा : महाराज आप केवल मिलने नही आए हैं ढेरों प्रश्न है आपके मन में। जिनका उत्तर आप जानने आए हैं। बताइए क्या जानना चाहते हैं आप।
राजा भोज : जीवन और मृत्यु का सच ?
चरवाहा : जीवन उद्देश्य पाने का मार्ग है और मृत्यु मोक्ष का कारण ।
राजा भोज : तो फिर धर्म क्या है ?
चरवाहा : नीति और नियम का बंधन ।
राजा भोज : तो फिर शांति कहा है ?
चरवाहा : परमात्मा की शरण में जिसका वास सब में होता है । एक अंधेरी गुफा जिसमें उतरने से मनुष्य घबराता है, डरता है मगर उसे पार करने के बाद प्राप्त होगा स्वर्णिम प्रकाश और पुरा होगा मनुष्य के जीवन का उद्देश्य । संसार की चकाचोंद को छोड अपने अंदर उतरना अति आवश्यक है महाराज ।
राजा भोज : तो जीवन चक्र क्या है ?
चरवाहा : अलग अलग अवस्था में कुशल कार्य को करना ।
राजा भोज : इस चरवाहे के सामने हमारा ज्ञान धूल के बराबर भी नही यह कोई साधारण सा चरवाहा नही यह तो कोई ज्ञानवान महापुरुष लगता है ।
राजा भोज: मंत्री जी इन्हें सम्मान के साथ हमारे महल लाया जाए इनका स्थान हमारे दरबार में है।
..अगली पोस्ट में उस टीले का रहस्य जाने ..
जय महाकाल 🙏🏻