दोस्त के इंतजार मे
कभी फिकर नही की दोस्ती कि, फिर
भी आस लगाये बैठे हे।
हम अपने जिग्री जान दोस्त का, इंतजार
लगाऐ बैठे है।
जानते हे नही कोई मोल मेरी दोस्ती का
उसकी नजरो मे,
फिर भी अपने दिल मे उसकी दोस्ती का
स्थान लगाए बैठे है।
कभी ना कभी तो दोस्त बनाऐगा,
आज नही तो कल कहलायेगा।
जिस दिन भी वह मुझसे बोल जायेगा,
मेरे ही बचपन का दोस्त कहलायेगा।
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तेरे आने की याद मे………..
तेरा दोस्त
लक्की सिंह चौहान