विकास
विकास का प्रतीक इक शहर,
गन्दगी में फँसा,
रो रहा था l
क्योंकि, कई वर्षों से वहाँ,
किसी मन्त्री का दौरा,
नहीं हो रहा था l
आखिरकार,
चमके उस शहर के सितारे,
और, एक मन्त्री जी,
निरीक्षण हेतु पधारे l
अब सम्बंधित विभागों को,
सफ़ाई-सज्जा के अतिरिक्त,
कोई और काम न था l
अजी, गन्दगी का तो,
अब नामोनिशान भी न था l
मन्त्री जी का दौरा,
समाप्त हो गया है l
और, यह शहर,
अगले दौरे की प्रतीक्षा में,
खो गया है l
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
-राजीव ‘प्रखर’
मुरादाबाद (उ. प्र.)
मो. 8941912642