विकट तेरी महिमा
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* विकट तेरी महिमा *
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विकट तेरी महिमा जग ने जानी है ,
ओ जगदम्बे मात !
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कियौ महिषासुर नै अभिमान ,
इन्द्र कौ छीन लियौ सम्मान ,
देवगन छिपे देख अपमान,
दैत्य नै करी बहौत मनमानी है , ओ जगदम्बे मात !
विकट……।1।
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स्तुती कर रहे वरुण कुबेर,
रहे ब्रह्मा विष्णु शिव टेर,
पुकारैं आ जा मत कर देर ,
नैन ते बह रह्यौ सबके पानी है , ओ जगदम्बे मात !
विकट….।2।
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तेज तब निकसौ देवन अंग,
पुंज मिल बने तेज सब संग,
पुंज कूँ देख देव भये दंग,
पुंज तेजन कौ बनौ भवानी है, ओ जगदम्बे मात !
विकट……।3।
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प्रकट भई लिये अठारह हाथ,
दमक रह्यौ नेत्र तीसरौ माथ,
झुके चरनन नाथन के नाथ ,
दशों दिश व्यापी छवी सुहानी है ,ओ जगदम्बे मात !
विकट ….. ।4।
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दिये देवन ने अपने अस्त्र,
समर्पित किये मात कूँ शस्त्र,
प्रेम ते अर्पित कीन्हे वस्त्र,
सिंह पै सज कै चढ़ी भवानी है ,ओ जगदम्बे मात !
विकट……।5।
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दियौ वर देवन कूँ जगदम्ब,
करूँ मैं दूर दैत्य कौ दभ्भ,
करौ फिर अट्टाहस माँ अम्ब ,
मात की गूँजी अम्बर वानी है,ओ जगदम्बे मात !
विकट……।6।
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कियौ मद महिषासुर कौ चूर,
करौ वध कष्ट किये सब दूर ,
न कोई मैया सौ है शूर ,
कृपा करिहै सबपै महारानी है , ओ जगदम्बे मात !
विकट…….।7।
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मात हम आये तेरे द्वार ,
तिहारौ साँचौ है दरबार,
लगइयो नैया भव ते पार,
‘ज्योति’ ने गाथा मात बखानी है , ओ जगदभ्बे मात !
विकट……..।8।
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-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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