वाक़या
हर शहर का वाक़या है ये
तेरे जैसा कोई दिख ही जाता है
पता नही विछड़ के इश्क बढ़ गया है मेरा या
तेरे जादू का दायरा बढ़ता जाता है
बदल कर देख लिए मैंने कितने ही जहाँ लेकिन
दूरी तो बढ़ती जाती है तू उतना पास आता जाता है
यकीन नही था तेरी कहानी पर मजनू, पर अब
उसका लब्बोलुआब मुझसे सब मिलता जाता है
सब समझ गया उस दिन जब उससे मिला फिर से
तुम बहुत बुरे हो कहकर भी कोई रोता जाता है
शादी परिवार बच्चे सब खुशियां उसको अता की
फिर भी मुझे एक नजर देखकर जैसे खिल जाता है
वाक़या: घटना
लब्बोलुआब: सार
अता : दान