” वाह..वाह..क्या बात है “
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
=================
कुछ न कुछ
हम लिखते रहते हैं ,
किन्हीं अवसरों पर
अपनी बातों को छंदों ,
में पिरोते हैं !!
कवि कहना
कवि की तोहिन होगी !
हाँ ..कभी उद्गार यूँही
मेरे ह्रदय से निकली होगी !!
आज के युग में भला
फुर्सत है किसको ?
जो हमारी बातों को सुने ,
और दिल से कहे .
“वाह..वाह…क्या बात है !!”…….
आज हमने भी एक
कविता बनाई,
पढ़कर अपनी श्रीमती जी
को सुनाई !!
हमारा मन रखने के लिए
उन्होंने तलियां जोर से बजाई
और ” वाह…वाह..क्या ..बात है ? ”
कहकर हमारी ढाढस बंधवाई !!
फिर क्या था ?
हम गदगद हो गए
ख़ुशी से अपनी श्रीमती जी को
पांच सौ रुपये दे दिए !
वह भी बहुत खुश हुई ,
और उत्सुकता पूर्वक
उसने हमसे पूछ लिया –
” दूसरी कविता फिर कब सुनायेंगे ??”
===============
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत