वाह रे हम!
तस्वीर पर मेरी वाह लिखने वाले तूँ ठहर जाता है अक्सर मेरे लिखे लेख देख कर।
फेसबुक पर बमुश्किल लाइक करके निकल जाता है अपनी उँगलियों को आराम देकर।
माना कि मुझे ज़रूरत है तेरे उत्साह वर्धक बातों की पर इतना भी नही की मेरे हौसलों को कुछ डगमगा सकें।
ख़ैर मैं खुद पढ़कर खुद की पीठ पर अपना हाथ थपथपाता हूँ और कहता हूँ
वाह रे हम!