— वाह रे कोरोना के पालनहार-
आज मेरे शहर में
इतने मरीज मिल गए
कि जैसे कभी मरीज थे ही नहीं
किसी दूसरी बिमारी से
गजब का तमाशा बना दिया
इस कोरोना की तो बिमारी ने
अच्छा ख़ासा इंसान मर रहा
कोरोना को बता के बीमारी से
न जाने कैसा यह खेल चल गया
जीते ही जी अब इंसान मर गया
अस्पताल में जाना भी हुआ दूभर
पैसे का तो दोस्तों नया खेल चल गया
दहशत ने फैलाया इस बिमारी को
सोच सोच के भी वो मर गया
वाह रे कोरोना की पालनहार
दुनिआ को तूने आईना तो दिखा दिआ
अजीत कुमार तलवार
मेरठ