वाह जी अब क्या कहने
कहने को सब ने कहा, समझ न पाए लोग।
आज भयानक हो गया, जनसंख्या का रोग।
जनसंख्या का रोग, मिटाना अब है भारी।
साधन रिक्त समाज, आज की है बीमारी।
जाने क्या क्या कष्ट, पड़ेंगे अब तो सहने।
लड़ते मरते लोग, वाह जी अब क्या कहने।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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