” वाह करोना “
वाह करोना ! तुने क्या हाहाकार मचाया ,
छोटी छोटी गलतियां हमारी याद दिलाया ।
1 दिन का कर्फ्यू 21 दिन तक लाया ,
वाह करोना ! तुने क्या सबक सिखाया ।।
दफ्तर में हमेशा व्यस्त रहने वालों को घर ले आया ,
पहले समय ना था तो परिवार को समय ना दे पाय ,
आज समय है परिवार के साथ रहने के लिए तो क्या करें समझ ना आया ,
वाह करोना ! तुने क्या सबक सिखाया ।।
किसी के लिए मुक्ति तो किसी के लिए मौत लाया ,
तकलीफ़ होती है कि कुदरत भी हमारा साथ ना दे पाया ।
हर किसी के दिमाग में तेरा खौंफ है छाया ,
वाह करोना ! तुने क्या सबक सिखाया ।।
बीन सोचे जो हमने आधुनिक रिवाज अपनाया ,
हेलो से आज तु फिर नमस्ते पर ले आया ।
होटल को भुलाकर घर का भोजन याद दिलाया ,
वाह करोना ! तुने क्या सबक सिखाया ।।
दिखावे की इस भीड़ को तुने बहुत कम कराया ,
मन ही मंदिर है तुने आज फिर याद दिलाया ।
थोड़े में भी बांटकर खाना बताया ,
वाह करोना ! तुने क्या सबक सिखाया ।।
जान है तो जहान है का मंत्र याद दिलाया ,
हर परीक्षा से बढ़कर जीवन की परीक्षा की तैयारी कराया ।
निजी स्वच्छता को बढ़ावा दिलाया ,
वाह करोना ! तुने क्या सबक सिखाया ।।
हर शाम साथ बैठ कर दादा – दादी का प्यार दिलाया ,
छत पर ही सुबह का उगता सूरज का दृश्य दिखाया ।
फिर वही खुबसूरत पापा की वाहों की शाम लाया ,
वाह करोना ! तुने क्या सबक सिखाया ।।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली