Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2016 · 2 min read

वास्तविक साथ

जीवन के हर मोड़ पर हमें किसी न किसी का साथ चाहिए ही होता है । आज की स्तिथि यह है कि हर कोई पैसे और कैरियर के लिए भागता ही जा रहा है । नेट मोबाइल टीवी ने सभी को घर के अंदर बंद कर दिया है । सब अपने में ही रहते हैं । अगर कोई साथी है तो बस मोबाइल और नेट । ये स्तिथि हमें अवसाद की तरफ ले जा रही है । क्योंकि दोस्तीऔर रिश्ते तो अब न के बराबर है और साथ है तो एक आभासी दुनिया का जिससे हमें इंटरनेट मिलवाता है । परंतु ये वो साथ कहाँ जो हमें आंतरिक ख़ुशी और सुख दे । हमारे ग़मों को बांटे खुशियों में हंसे ।

ऐसे ही एक सज्जन जो सेवानिवृत हो चुके थे हमारे सामने के पार्क में रोज गुमसुम से बैठे रहते थे । उनके बच्चों के पास समय ही नहीं था और उन्हें इंटरनेट आता नही था । क्या करते बस पार्क में बैठे रहते । बच्चों को खेलते देखते कभी फूलों और पेड़ों को । लगता जैसे उनसे ही मन की बात कर रहे हों । कुछ दिन बाद देखा उस बेंच पर एक और सज्जन उनके साथ बैठे थे । दोनों में दोस्ती हो गयी । अब वो हँसने भी लगे थे । धीरे 2 देखा वो 2 से 3 फिर 3 से 4 ऐसे करतेकरते 8-10 लोगों का ग्रुप बन गया । उनमे से एक योग एक्सपर्ट थे वो सबको योग भी सिखाने लगे । करीब 1 महीने के समय में ही एक दूसरे में वो सभी इतने मिल गए कि लगता ही नहीं था कभी ये सब अजनबी थे ।

अगर बारिश भी आ जाए तब भी मैंने सबको छाता लगाकर आते हुए देखा । शायद इनका आपसी साथ उन्हें अंदर तक ख़ुशी देता था । वो पार्क पहले बहुत उबड़ खाबड़ सा था । उन लोगों ने उसे ठीक करने का बीड़ा उठाया । एक माली लगाया और खुद भी उसे ठीक करने में लग गए । उन्हें देखकर पार्क में खेलने वाले बच्चे भी उनका साथ देने लगे । पार्क तो चमकने लगा । बच्चे भी उनसे घुलमिल जाने के कारण योग भी करने लगे । सुबह सूरज निकलने से पहले ही बच्चे उठ जाते और पार्क की तरफ भागते । उगते सूर्य को प्रणाम करते योग करते फिर स्कूल जाने के लिए घरजाते । घर में माँ बाप हैरान बच्चों में ये परिवर्तन देखकर उन्होंने भी पार्क में आना शुरू कर दिया । बहुत ही खूबसूरत नज़ारा हर उम्र के लोग एक साथ एक दूसरे का लुत्फ़ उठाते हुए खिलखिलाते हुए ।

सुबह का ये एक घंटा ऐसा होता था जब न तो कोई फ़ोन होता था न नेट न ऐसी न बिस्तर ।बस साथ था लोगों का और प्रकृति का । और जिस साथ से हमें सुकून मिलता है वही होता है वास्तविक साथ।
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 358 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
पतंग
पतंग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"वो हसीन खूबसूरत आँखें"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
कहानी। सेवानिवृति
कहानी। सेवानिवृति
मधुसूदन गौतम
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
हो रही है भोर अनुपम देखिए।
surenderpal vaidya
जीभर न मिलीं रोटियाँ, हमको तो दो जून
जीभर न मिलीं रोटियाँ, हमको तो दो जून
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
खिलेंगे फूल राहों में
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
पूर्वार्थ
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
कवि रमेशराज
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/237. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम मत खुरेचना प्यार में ,पत्थरों और वृक्षों के सीने
तुम मत खुरेचना प्यार में ,पत्थरों और वृक्षों के सीने
श्याम सिंह बिष्ट
बीड़ी की बास
बीड़ी की बास
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
नैतिकता ज़रूरत है वक़्त की
Dr fauzia Naseem shad
"प्रीत की डोर”
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
प्रेम
प्रेम
Rashmi Sanjay
Iss chand ke diwane to sbhi hote hai
Iss chand ke diwane to sbhi hote hai
Sakshi Tripathi
मन का मिलन है रंगों का मेल
मन का मिलन है रंगों का मेल
Ranjeet kumar patre
रमेश कुमार जैन ,उनकी पत्रिका रजत और विशाल आयोजन
रमेश कुमार जैन ,उनकी पत्रिका रजत और विशाल आयोजन
Ravi Prakash
हर वर्ष जला रहे हम रावण
हर वर्ष जला रहे हम रावण
Dr Manju Saini
मुसीबतों को भी खुद पर नाज था,
मुसीबतों को भी खुद पर नाज था,
manjula chauhan
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
गवर्नमेंट जॉब में ऐसा क्या होता हैं!
गवर्नमेंट जॉब में ऐसा क्या होता हैं!
शेखर सिंह
वक्त से पहले..
वक्त से पहले..
Harminder Kaur
पागल
पागल
Sushil chauhan
जरूरी नहीं राहें पहुँचेगी सारी,
जरूरी नहीं राहें पहुँचेगी सारी,
Satish Srijan
#आदरांजलि
#आदरांजलि
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...