वास्तविक धर्म
परहित से सरस कर्म नहीं कोई ,
परपीड़ा वहन से ऊंचा धर्म नहीं कोई ,
निरभिमान होकर दान करे जो ,
उससे बड़ा महान इंसान नहीं कोई ।
परहित से सरस कर्म नहीं कोई ,
परपीड़ा वहन से ऊंचा धर्म नहीं कोई ,
निरभिमान होकर दान करे जो ,
उससे बड़ा महान इंसान नहीं कोई ।