वायरस
वायरस
जी हाँ एक वायरस।
और पूरी दुनिया हिल गई।
महाशक्तिशाली एक देश ने भी
हाथ खडे कर दिए।
और कुछ विकसित देशों के भी
हालात बदतर।
सब धरा रह गया।
परमाणु, मिसाइल,
कोठी, कार, स्वर्णाभूषण आदि।
सबका ध्यान एक ही तरफ
ओर न कोई सुध।
विकसित देशों की स्वास्थ्य सुविधाएं भी
दे गई जवाब अब क्या करें।
कहां से आया क्यूँ आया
सवाल नही महत्वपूर्ण फिलहाल
इससे बचने का क्या है विकल्प
सवाल ये है सम्मुख खडा।
हो सकता है किसी इंसानी गलती से ये फैला
और प्रकृति क्रुद्ध हो गई।
शायद ऊंचा उडने की चाह हमें
ले जा रही गर्त की ओर।
क्यों न गम्भीरता से इस पर हम सोचें
प्रकृति से खिलवाड न करें
और उसके सामने नतमस्तक हो
उसकी सहानुभूति प्राप्त करें।
और सब प्राणी मात्र का भला सोचते हुए
‘जीओ और जीने दो’ की भावना पर काम करें।
अब सोचना होगा पूरे विश्व को इस तरह
और झुकना होगा उस परमात्मा के चरणों में
जो सबका रखवाला है।
उसे प्रसन्न करें
प्रकृति माँ को प्रसन्न करें
और उसकी दया के पात्र बनें
तब शायद हमारा भला ही भला होगा।
—-अशोक छाबडा. कवि,
गुरूग्राम।