वाम /मंजरी/मकरंद/माधवी सवैया !
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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वाम/मंजरी/मकरंद/माधवी सवैया
(7 जगण+ यगण)
121×7+122
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सुगंध उठे फल-फूल खिले यह सोच इन्हें कब कौन खिलाता ?
सुभोर हुए नित सूर्य उगे कब कौन उसे हर रोज उगाता ?
स्वभाव नहीं बदले घन भी पर कौन इसे नभ से बरसाता ?
न ईश कभी दिखता हमको वह ही सब का जल-वायु प्रदाता ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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