“वाबस्ता”
ये वक़्त गुज़र जाए सनम तेरी बाहों में वाबस्ता
बस तू ही तू नज़र आए, मेरी निगाहों में वाबस्ता
तलब तलब तेरी तलब मैं दुआं में करूँ तेरी तलब
मेरी हर दुआं असर लाए, तेरी पनाहों में वाबस्ता
ये गुज़ारिश है कि, ऐसी बरसात हो अबके सावन
बादल लहर बरसाए ,ज़मी पर हवाओं में वाबस्ता
मेरे तसव्वुर में भीग जाए, तू इस क़दर भीग जाए
मुझ तक आकर ठहर जाए, कभी राहों में वाबस्ता
तेरे चेहरें से भीगे गेसुओं को हटाकर आग़ोश में लूँ
रूह तुझमें उतर जाए ,कुछ गहरी आहों में वाबस्ता
__अजय “अग्यार