वापिस तुमको जाने न देंगे
जाने नही देंगे,
अबकी बार जो आओगे परदेसी,
वापिस तुमको जाने न देंगे,
देख तेरे शहर की गलियाँ,
आज भी सूनी तेरे बिन,
घर की छत पर उड़ती पतंगे,
ढूँढती हैं तुझे हर दिन,
पलकें जो भीगती हैं तेरे बिन,
उन पलकों पर ख़्वाब नए सजाने देंगे,
अबकी बार तो आओगे परदेसी
वापिस तुमको जाने न देंगे,
नोटों से माना घर भर दिया तुमने,
सबका मुँह बंद कर दिया तुमने,
फिर भी सूनी सी पड़ी हवेली,
फूल हैं चारों तरफ़ मुस्काते,
फिर भी हैं इस घर के मन मुरझाए,
बाप की पथरीली आँखों में,
तेरे साथ के सपने तरने देंगे,
अबकी बार जो आओगे परदेसी,
वापिस तुमको जाने न देंगे,
माँ की गोद है सूनी,
आँचल उसका तेरी राह पुकारे,
संसार के सारे सुख तुझे दे कर,
इस बुढ़ापे में पाया अकेलापन,
उसके काँपते हाथों को चाहिए तेरा सहारा,
अब उसका हाथ तेरे हाथ से छूटने न देंगे,
अबकी बार जो आओगे परदेसी,
वापिस तुमको जाने न देंगे…..