वापस लौटा दे मेरा बचपन…..
क्या खूबसूरत था वो बचपन,
न हमे उनका धर्म पता था
न उन्हें हमारा मजहब,
ऐसे पलटी बाजी जमाने की
अब हम मिलते है भी कभी,
वो हमसे मजहब पूछ बैठते,
और हम उनका धर्म
ये मेरे मौला ये परवर दीगार
वापस लौटा दे मेरा बचपन
वापस लौटा दे ह्मसब का प्यार
नहीं चाहिए ऐसी जन्नत हमे
जहा न हो किसी के बीच का प्यार