” वापस जल्दी आना “
“रोज रोज पत्नी जी हमको देती थीं ये ताना,
मायके चली जाऊँगी फिर बैठ यहीं पछताना,
एक दिन हो गया सीमा पार,
मैंने बोल दिया मेरे यार,
झूठी धमकी बंद करो हमको नही डराओ,
मैं तो ऐश करूँगा जब भी चाहो मायके जाओ,
कुछ बरस वहीं बिताना जल्दी वापस नहीं आना,
इतनी बात सुनी बीवी ने शुरू किया चिल्लाना,
बोली गाड़ी मंगवा दो,
मुझको आज़ ही मायके जाना,
ये स्वर सुनते ही मेरे यार खुशी का ना रहा ठिकाना,
फिर जाते-जाते जाने क्यों थोड़ी सी मुसकायी,
दिल में मेरे घटना की कोई आशंका आयी,
मैडम जी के जाते मैंने मित्रों को बुलवाया,
संग मिलकर मित्रों के हमने खूब धमाल मचाया,
धीरे धीरे ढल गयी शाम, सोचा कर लूँ घर का काम,
सफ़ाई तो कर ली हमने फिर आयी किचेन की बारी, सोचा आज बना लेता हूँ पसंदीदा डिश ही सारी,
कोई परहेज़ नही करना, अब नही किसी से डरना,
आज़ादी मिल गयी है अब तो अपनी मर्ज़ी से रहना,
घंटों किचन में ढूंढा पर न मिला कोई सामान,
कहाँ कढ़ाई,कछड़ी,चम्मच और पतीला दोना,
नमक,मिर्च,हल्दी कुछ मिला ना देखा कोना-कोना,
बीवी के मुस्काने की फिर वजह को हमने जाना,
घर को बना गई थीं पत्नी एक अजायब खाना,
मुश्किल था कुछ भी मिल पाना,
भूख ने शुरू किया तड़पाना,
पेट के चूहों ने मुझको पूरी रात सताया,
नींद न थी आँखों में मेरे, बैठ के फिर पछताया,
सुबह हुई सोचा मैं बीबी को थोड़ा समझाऊँ,
गुस्सा छोड़ूँ यार प्यार से बीवी को बुलवाऊँ,
फोन किया मीठे स्वर में, सुनो याद तुम्हारी आती है,
जल्दी घर आ जाओ तन्हाई मुझको तड़पाती है,
बीवी बोली गुस्से में अब मुझको घर नहीं आना,
मीठी-मीठी बातों से बंद करो बहलाना,
बोला मैं हर बात सुनूंगा, वापस आओ रानी,
घर आपका चला लो चाहे जितनी भी मनमानी,
घर वापस आने की चाहे शर्त कोई मनवा लो,
सुनते बोली खत्म करो झगड़ा गाड़ी भिजवा दो,
बोली सुन लो ‘जाने जाना’,मुझको फिर से नहीं सताना,
तुमने मुझे सताया तो मै जेलर बन जाऊँगी,
तुम कैदी बन जाओगे घर होगा कैदखाना,
राज चलेगा मेरा ही मनमाना,
शर्तें मंज़ूर हो तभी बुलाना,
आगे कुआँ था अपने पीछे थी गहरी खाई,
पत्नी की हर बात में हमने मंज़ूरी दिखलाई,
बोला वापस जल्दी आना,घर तुम वापस जल्दी आना “