वादे बहुत बड़े बड़े हमसे वो कर गये
वादे बहुत बड़े बड़े हमसे वो कर गये
लेकिन निभा नहीं सके दुनिया से डर गये
आसान राह प्यार की होती नहीं कभी
चलते दिवाने पर रहे चाहें वो मर गए
दिल था हमारा काँच सा नाज़ुक यूँ कम नहीं
टूटे से फिर जुड़ा नहीं कण कण बिखर गये
हम थे बुझे बुझे से न भाती थी ज़िन्दगी
उनसे नज़र मिली जरा हम तो निखर गये
दिल तो उड़ान भरने लगा आसमान में
लेकिन कदम तो प्यार में जैसे ठहर गये
घायल हमारा दिल यहाँ होना जरूर था
उनकी नज़र के तीर जो गहरे उतर गये
हर साँस में बसे वो हमारी यूँ ‘अर्चना’
पाया उन्हें ही साथ में हम तो जिधर गये
डॉ अर्चना गुप्ता