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8 Aug 2021 · 1 min read

वाणी

ज़िब्हा प्रत्यंचा बनी ,अधर धनुष आकार।
शब्द बाण बनकर करें,मन पर खूब प्रहार।।

इक पलड़े पर भाव धर ,दूजे पर व्यवहार।
तौल मोल के बोलिये ,शब्द शब्द का भार।।

व्यक्ति की पहचान हो ,वाणी के अनुसार ।
वाणी ही हथियार है ,वाणी ही उपचार।।

कौन जाए मन में उतर, मन से देय उतार।
कीजै शब्दों का चयन,इनमें शक्ति अपार।।

ज़िब्हा है शमशीर सम, करे शब्द से वार।
क्रोध वाणी चुभ जाए तो ,घाव होय हर बार।।

शब्द शब्द टकराय तब, मानो अपनी हार।
युद्ध बहाए रक्त और, शब्द अश्रु की धार।।

ह्र्दयविदारक बोलकर, न करो शब्द बेकार।
कर्णप्रिय सब बोलिये ,जीवन का यह सार।।

संवेदना को मेरी ,मिला शब्द आधार।
किये कलम ने नव सृजन, गीत ग़ज़ल दो चार।।

हे माँ वीणा वादिनी,नमन करो स्वीकार।
कृपादृष्टि की ज्योति पर,कोटि कोटि आभार।।

✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

Language: Hindi
6 Likes · 7 Comments · 579 Views
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