वाणी
वाणी से गुण होत है
वाणी से गुण जाय,
वाणी से चलता पता
सबका सुनो सुभाय।
मुख में बीड़ा पड़त है
एक वाणी के संग ,
दूज वाणी से डसे
काला निहंग भुजंग।
वाणी से विष झरत है
वाणी रास की खान
मीठी वाणी बोलिये
यही जीवन का सार।
एक वाणी कैकेयी के
दिया राम वनवास,
पुरबासिन्ह चेते नही
भये दशरथ निष्प्राण।
एक वाणी वामन दिए
गयो राज औ पाट,
हरिश्चंद्र ने स्वप्न में
त्यागा घर संसार ।
वाणी की महिमा गजब
गजब रहा है विधान,
शिव दधीचि व कर्ण के
किस्से है वरदान।
प्रीति बराबर से बढ़े
वाणी मृदुल जो होय,
रीति निभाती है यही
मन भी शीतल होय।
सुख पाता है स्वयं भी
मीठी वाणी बोल,
कडुवी वाणी से खुले
सब दुष्टन के पोल।
मीठी वाणी से पड़े
कानन में झंकार,
कडुवी वाणी चीखती
मृत्यु करे पुकार।
वाणी होवे जो मृदुल
जुड़े सकल संसार,
निर्मेष मृदुल वाणी के
महिमा कहे अपार।
निर्मेष